Nand Ram Tikoo

Nand Ram Tikoo

नंद राम टिक्कू के दादा पंडित रामनाथ टिक्कू श्रीनगर में हब्बाकदल क्षेत्र के टिक्कू मोहल्ले में रहते थे। पंडित रामनाथ के दो बेटे थे भास्कर राम टिक्कू व विश्वनाथ टिक्कू।

भास्कर राम टिक्कू व विश्वनाथ टिक्कू दोनों ने उर्दू और फारसी में शिक्षा प्राप्त की |

नंद राम टिक्कू अपनी ईमानदारी की बदौलत नंदराम अफगान शासक जमान शाह के दरबार में प्रधानमंत्री के पद पर जा पहुंचे और अपनी प्रशासनिक क्षमता के साथ व्‍यवस्‍था को संभालते रहे

लगातार जंग में उलझे रहने, बगावतों और अन्य कारणों से अफगान शासक जमान शाह का खजाना खाली हो गया। प्रधानमंत्री नंद राम टिक्कू ने अपने पास जमा सोने से अपने नाम पर सिक्के बनवाए। यह सिक्का 1910 तक अफगानिस्तान और कश्मीर में चलता रहा।

नंद राम टिक्कू के दादा पंडित रामनाथ टिक्कू श्रीनगर में हब्बाकदल क्षेत्र के टिक्कू मोहल्ले में रहते थे।
विश्‍वनाथ टिक्‍कू ने पिता के कारोबार को संभाला। विश्‍वनाथ के तीन बेटे थे – नंद राम, हरि दास और रामचंद्र।
नंद राम टिक्कू का जन्म 1775 में हुआ था। नंद राम टिक्कू ने शुरुआती शिक्षा फारसी और उर्दू में प्राप्त की। इसके बाद राजस्व विभाग में करदार नियुक्त हो गए।

जमान शाह :

तैमूर शाह की मौत के बाद जमान शाह शासक बना था | मीर हुजूर खान ने खुद को कश्मीर का बादशाह घोषित करते हुए कश्मीरी पंडितों पर जुल्म शुरू कर दिया। मीर हुजूर खान की बगावत कुचलने के लिए जमान शाह ने अहमद खान को भेजा। अहमद खान ने मीर हुजूर खान को हराया | कश्मीर में नया सूबेदार नियुक्त करने के बाद काबुल लौटा, वह अपने साथ पंडित नंद राम टिक्कू को ले गया।

काबुल में पंडित नंद राम टिक्कू ने अपनी समझदारी और प्रशासनिक कार्यकुशलता से दरबार में जगह बना ली | पंडित नंद रामकुछ दिन में दीवान बन गए |
1804 में पंडित नंद राम के कामकाज, ईमानदारी और निष्ठा को देखकर उन्‍हें प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया।

पंडित नंद राम के सोने के सिक्के श्री प्रताप संग्रहालय में संरक्षित हैं|

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